बुधवार, 9 मई 2018

प्रेरकत्व & प्रेरक



प्रेरकत्व (Inductance):
कोई भी कुण्डली ऊर्जा को चुम्बकीय क्षेत्र (magnetic field) के रूप में संग्रहित करती है| जब कुण्डली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन होता है तो यह क्षेत्र धारा में परिवर्तन का विरोध करता है| कुण्डली के इस गुण को ही प्रेरकत्व (Inductance) कहा जाता है| और जो कुण्डली इस गुण को प्रदर्शित करती है उसे प्रेरक कहा जाता है| इस चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति कुण्डली मेसे बहने वाली धारा के मान के समानुपाती होता है| जब कुण्डली का करंट स्थिर होता है तब इसमें फ्लक्स का मान भी स्थिर होता है| और जब करंट का मान बढता या घटता है तो धारा के मान के अनुसार फ्लक्स का मान भी बढ़ता या घटता है| फ्लक्स में होने वाला यह परिवर्तन कुण्डली में एक विभव या emf उत्तपन करता है| इस वोल्टेज की ध्रुवीयता इस प्रकार होती है की यह कुण्डली में से बहने वाले करंट का विरोध कराती है| इस विभव का परिमाण करंट में होने वाले परिवर्तन की दर पर निर्भर करता है| 

V=उत्तपन विभव का परिमाण
dI/dt=करंट में परिवर्तन की दर
L=समानुपाती नियतांक (प्रेरकत्व)
इसकी इकाई हेनरी है| चूँकि सामान्यत: हेनरी बहुत अधिक मात्रा के लिए प्रयुक्त कि जाती है अत: हम इसके सबसे छोटे मान का उपयोग करते है जो सामन्यत: mH या microH में होता है|
 

प्रेरक (Inductor):
प्रेरक एक प्रकार का पेसिव, इलेक्ट्रिक युक्ति है जिसका निर्माण एक विशिष्ट मान के प्रेरकत्व के लिए किया जाता है| इसका उपयोग फ़िल्टर, ट्यूनिग, ट्रांसफ़ॉर्मर आदि परिपथ में किया जाता है| बहुत से अनुप्रयोगों में इसका इनका उपयोग प्रत्यावर्ती धारा के मान को कम करने तथा दिष्ट धारा को बहने देने के लिए किया जाता है| इस स्थिति में प्रेरक को चोक कहा जाता है| कुछ चोक ऑडियो फ्रीक्वेंसी पर कार्य करते है और कुछ रेडिओ पर| जो चोक ऑडियो फ्रीक्वेंसी पर कार्य करते है उन्हें ऑडियो फ्रीक्वेंसी चोक (Audio Frequency Chock (AFC)) कहा जाता है, और जो रेडिओ फ्रीक्वेंसी पर कार्य करते है उन्हें रेडिओ फ्रीक्वेंसी चोक (Radio Frequency Chock (RFC)) कहा जाता है| 


कुण्डली के प्रकार:

कोर के आधार पर प्रेरक दो प्रकार के होते है|

1. स्थाई       2. अस्थाई


1. स्थायी:

इसे प्रेरक किनके मान में परिवर्तन नहीं होता है उन्हें स्थाई प्रेरक कहा जाता है| यह तिन प्रकार के होते है|

१.       एयर कोर       २. आयरन कोर         ३. फेराइट कोर


एयर कोर :

इस प्रकार के प्रेरक का निर्माण करने के लिए वायर को कार्डबोर्ड पर कुण्डली के आकर में लपेटा जाता है| इसके प्रेरकत्व का मान बहुत कम होता है| यह रेडियो फ्रीक्वेंसी अनुप्रयोगों हेतु उपयुक्त होता है| इसे निम्न प्रतिक द्वारा दर्शाया जाता है|


आयरन कोर:

इसे निर्माण के लिए कुण्डली के वायर को सख्त आयरन कोर पर कुण्डली के आकर में लगाया जाता है| आयरन कोर तथा वायर पर एक कुचालक पदार्थ की परत चढाई जाती है, जिससे की एड्डी करंट लोस को कम किया जा सके| यह ऑडियो फ्रीक्वेंसी के लिए उपयुक्त होते है| इसे निम्न प्रतिक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है|

फेराइट कोर:

इसके निर्माण के लिए वायर को फेराइट के कोर पर कुण्डली के आकार में लपेटा जाता है| फेराइट एक तरह का चुम्बकीय पदार्थ होता है, जो की आयरन, कोबाल्ट, निकिल को कुचालक बाइंडर के साथ मिलाने पर मिलता है| इसका एड्डी करंट लोस बहुत कम होता है अत: इसका उपयोग अधिक फ्रीक्वेंसी में किया जाता है| इसका प्रतिक चित्र में प्रदर्शित है|

अस्थाई प्रेरक

ऐसे प्रेरक जिनके प्रेरकत्व का मान एक निश्चित सीमा तक बदला जा सकता है उन्हें अस्थाई प्रेरक कहा जाता है| इस प्रकार के प्रेरक के निर्माण के लिए फेराइट कोर का प्रयोग किया जाता है| इस फेराइट कोर पर वायर को इसप्रकार लपेटा जाता है कि यह कोर कुण्डली में अंदर बाहर हो सके| कुण्डली में फेराइट कोर जितनी ज्यादा अन्दर होती है प्रेरकत्व का मान उतना ही अधिक होता है| और जितनी ज्यादा बाहर होगी प्रेरकत्व का मान उतना ही कम होगा| इस प्रकार अस्थाई प्रेरक का मान परिवर्तित होता है| इसे निम्नांकित प्रतिक द्वारा दर्शाया जाता है|

कुण्डली के प्रेरकत्व का मान


किसी भी कुण्डली के प्रेरकत्व का मान उसके भौतिक मापदण्डो (physical parameters) पर निर्भर करता है| ये भौतिक मापदण्ड सामान्यत: कुण्डली में फेरों की संख्या, कुण्डली का कोर पर घेरा गया क्षेत्रफल, तथा फेरों की संख्या है|
यदि कुण्डली में फेरों की संख्या N हो, कुण्डली की कोर पर लम्बाई l मीटर, कोर पर कुण्डली द्वारा घेरा गया क्षेत्रफल A वर्ग मीटर, चुम्बकंशिलता (permeability) µ० (µ=10-7H/m) तथा कोर के पदार्थ तुलनात्मक चुम्बकंशिलता µr (relative permeability) हो, तो कुण्डली के प्रेरकत्व का मान होगा:
 
Reference:
 1. R.S. Sedha, "A TextBook of Applied Electronics".

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें