गुरुवार, 3 मई 2018

शॅाट्की डायोड



डायोड का एक स्विच की तरह उपयोग, एक सामान्य अनुप्रयोग है एक आदर्श (ideal) डायोड फॉरवर्ड बाईस की अवस्था में एक ऑन स्विच की भांति तथा रिवर्स बाईस की अवस्था में ऑफ स्विच की भांति कार्य करता है| जब हम सामान्य डायोड AC सिग्नल लगते है तो कम आवृत्ति (low frequency) के लिए डायोड एक स्विच की तरह कार्य करता है किन्तु अधिक आवृत्ति (high frequency) की स्थिति में यह एक स्विच की तरह कार्य नहीं करता है| जब हम AC सिग्नल को डायोड पर लगते है तब पॉजिटिव हाफ साइकिल के लिए डायोड फॉरवर्ड बाईस की स्थिति में होता है और नेगेटिव हाफ की स्थिति में रिवर्स बाईस हो जाता है| 


जब आवृत्ति का मान बढ़ता जाता है तो डायोड के ऑन ऑफ होने की स्पीड भी बढ़ने लगाती है| और अधिक आवृति के सिग्नल की अवस्था में एक सामान्य डायोड एक ऑन स्विच की तरह ही कार्य करने लगता है| अर्थात AC सिग्नल के पॉजिटिव तथा नेगेटिव साइकिल के लिए वह ऑन  (ON) हो जाता है| इसका कारण सामान्य डायोड में जंक्शन का होना होता है|


इस समस्या को शॅाट्की नामक वैज्ञानिक ने दूर किया| उन्ही के नाम पर इसे शॅाट्की डायोड कहा जाता है| इस डायोड के निर्माण के लिए अर्द्धचालक तथा धातु का प्रयोग किया जाता है| धातु एवं अर्द्धाचालक को विशेष विधि द्वारा आपस में जोड़ा जाता है| जिससे इनके बिच एक ऊर्जा अंतराल बन जाता है| इस ऊर्जा अंतराल के कारण सेमीकंडक्टर (अर्द्धचालक) के इलेक्ट्रॉन्स धातु में या धातु के इलेक्ट्रॉन्स सेमीकंडक्टर में नहीं जा पते| और जंक्शन का निर्माण भी नहीं हो पता| यह धातु सोना, चांदी या प्लेटिनम हो सकती है| इसे निम्न प्रतिक द्वारा दर्शाया जाता है| 

चूँकि इसमें जंक्शन के स्थान पर ऊर्जा अंतराल होता है  अत: इसमें संधारित्र का मान भी बहुत कम होता है जिसके कारण यह अधिक आवृत्ति के सिग्नल पर भी आसानी से कार्य कर सकता है| तथा इसका स्विचिंग टाइम भी तेज होता है|

अनुप्रयोग:
1. अत्यधिक उच्च आवृत्ति को रेक्टिफय करने में
2. डिजिटल कंप्यूटर में
3. डिजिटल सर्किट्स में
4. कम्युनिकेशन सिस्टम में


Refference:
1. R.S. Sedha, "A TextBook of Applied Electronics".
2. https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSnDFKQj1NOTR_cVG0bYWY_913XTxlYvrHCmX8JQ2WvPd9ISXVT

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