जब
एक डायोड में अशुद्धि अणुओं (impurity atoms) की सन्ध्रता (concentration) की मात्रा (डोपिंग लेवल) सामान्य PN संधि
डायोड की तुलना में बहुत अधिक कर दी जाये (लगभग 1000 गुना
या उससे भी ज्यादा), इस स्थिति में एक नए प्रकार के डायोड का निर्माण होता है,
जिसे टनल डायोड कहा जाता है| इसके गुण एक सामान्य डायोड से बहुत ही भिन्न होते है|
इसका आविष्कार वर्ष 1958 में डॉ. लियो ईसाकी (Dr. Leo
Esaki) ने किया था, अत: उनके नाम पर इसे ईसाकी डायोड भी
कहा जाता है|
एक
सामान्य डायोड में डोपिंग लेवल की मात्रा बहुत कम होती है| इसके कारण इसमे इसके
अवक्ष्य परत (डिप्लिशन लेयर) की चौड़ाई एक माइक्रोमीटर (micrometer) के अनुपात की होती है| जिसके कारण जंक्शन पर एक विभव उत्पन्न होता है
जो की चार्ज केरियेर्स के फ्लो को जंक्शन पर नियंत्रित करता है| यह चार्ज करियर्स
तब तक जंक्शन के आर-पार नहीं जा पते, जब तक उन्हें पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल जाती|
जैसे-जैसे हम डोपिंग लेवल बढ़ाते है, डिप्लिशन लेयर की चौड़ाई कम होती जाती है| जब
डोपिंग लेवल बढ़ा कर 1:103 कर दिया जाता है
तब डिप्लिशन लेयर की चौड़ाईकम हो कर 10-9
नेनोमीटर (nano-meter) तक हो जाती है| इस स्थिति में जब इस पर
विभव लगाया जाता है तो से कम विभव पर
चार्ज केरियर्स प्रकाश की गति से डिप्लिशन लेयर को भेदते हुए निकलते है| जिससे
जंक्शन पर टनल बन जाती है, इस कारण इस डायोड को टनल डायोड कहते है| इसे निम्न
प्रतिक द्वारा निरुपित किया जाता है:
इस
प्रकार के डायोड का निर्माण करने के लिए जर्मेनियम (Ge)
या गेलियम-आर्सेनाइड (Ga As) पदार्थ का उपयोग
किया जाता है| यह एक लो-पॉवर युक्ति (डिवाइस) है| अत: इसे सावधानीपूर्वक उपयोग
करना चाहिए, क्योकि ताप तथा इलेक्ट्रिसिटी के परिवर्तन के कारण यह आसानी से ख़राब
हो सकते है|
अभिलाक्ष्णिक
आरेख :
जब टनल डायोड पर विभव लगाया जाता है और धारा का मान ज्ञात किया जाता है तो हमें विभव के सापेक्ष धारा का अभिलाक्ष्णिक आरेख मिलता है जो चित्र में प्रदर्शित है|
जब
हम विभव का मान बढ़ाते है तो धारा का मान बहुत ज्यादा होने लगता है, किन्तु एक
निश्चित विभव के पश्चात् धारा का मान कम होने लगता है| अत: विभव का वह मान जिस पर
धारा का मान सर्वाधिक होता है उसे पीक पॉइंट कहते है| इसे आरेख में हम A से
निरुपित कर रहे है| इस पॉइंट पर करंट (धारा) को पीक करंट (Ip) तथा वोल्टेज को पीक वोल्टेज (Vp) कहा
जाता है| पीक वोल्टेज के बाद जैसे-जैसे वोल्टेज बढ़ाते है करंट का मान कम होता जाता
है| पुन: एक वोल्टेज के मान पर करंट बढ़ने लगता है| वह वोल्टेज जिस पर करंट का मान
सबसे कम होता है उसे वेली पॉइंट कहा जाता है| इसे आरेख में पॉइंट B से दर्शाया गया है| इस पॉइंट के वोल्टेज को वेली वोल्टेज (Vv)
तथा करंट को वेली करंट (Iv) कहा
जाता है| अब जैसे-जैसे हम वोल्टेज बढ़ाते है करंट का मान भी बढ़ने लगता है| इसे हम
पॉइंट C से आरेख में दर्शा रहे है|इस प्रकार यह आरेख तिन क्षेत्रो में विभक्त होता
है: पॉजिटिव रेजिस्टेंस रीजन (क्षेत्र), नेगेटिव रेजिस्टेंस रीजन तथा ओमिक रीजन|
जब टनल डायोड पर विभव लगाया जाता है और धारा का मान ज्ञात किया जाता है तो हमें विभव के सापेक्ष धारा का अभिलाक्ष्णिक आरेख मिलता है जो चित्र में प्रदर्शित है|
टनल डायोड का अभिलाक्ष्णिक आरेख |
पॉजिटिव
रेजिस्टेंस रीजन: यह क्षेत्र आरेख में OA के द्वारा निरुपित किया गया है| शुरुआत
में जब हम वोल्टेज लगते है, तब बहुत कम वोल्टेज पर ही इलेक्ट्रॉन्स जंक्शन पर टनल
बनाकर दुसरे सिरे पर पहुच जाते है| जिससे करंट का मान अचानक से बढ़ जाता है| इस
कारण इसे पॉजिटिव रेजिस्टेंस रीजन कहा जाता है|
नेगेटिव
रेजिस्टेंस रीजन: जब टनल बनाने वाले इलेक्ट्रॉन्स की संख्या कम हो जाती है तो करंट
का मान कम हो जाता है चुकी वोल्टेज के बढ़ने पर करंट का मान कम होता है अत: इस रीजन
को हम नेगेटिव रेजिस्टेंस रीजन कहते है| इसे ग्राफ में AB रीजन से निरुपित किया
जाता है|
ओमिक
रीजन: इसे BC रीजन द्वारा ग्राम में दर्शाया गया है| इस रीजन में यह डायोड एक
नार्मल PN जंक्शन की तरह ही कार्य करता है| जैसे-जैसे हम वोल्टेज बढ़ाते है करंट का
मान भी बढ़ने लगता है|
टनल पैरामीटर्स:
टनल डायोड के दो
मुख्य पैरामीटर्स है : नेगेटिव रेजिस्टेंस एवं पीक करंट तथा वेली करंट का अनुपात
नेगेटिव
रेजिस्टेंस:
टनल डायोड का वह रेजिस्टेंस जब वह नेगेटिव रेजिस्टेंस रीजन में कार्य
करता है| इसे फॉरवर्ड वोल्टेज में होने वाले परिवर्तन तथा इसके सापेक्ष फॉरवर्ड
करंट में होने वाले परिवर्तन के अनुपात द्वारा प्रदर्शित किया जाता है|
Rn=-
VF/IF
इसका
मान डायोड के निर्माण में उपयोग किये गए पदार्थ पर भी निर्भर करता है| इसका मान 10 से 200 तक होता है|
पीक
करंट तथा वेली करंट का अनुपात (IP/IV):
यह गुण हाई-स्पीड स्विचिंग परिपथ में जरुरी होता है| यह अनुपात जर्मेनियम
(Ge) टनल के लिए
तथा गेलियम-आर्सेनाइड (Ga As) टनल के लिए है| सिलिकॉन टनल के लिए यह अनुपात होता है, इस कारण टनल डायोड के निर्माण में
सिलिकॉन का उपयोग नहीं किया जाता है|
अनुप्रयोग:
1. अल्ट्रा- हाई-स्पीड स्विचिंग
2. लॉजिकल मेमोरी डिवाइस
3. माइक्रोवेव ओस्सिलेटर
4. रेलेक्साशन ऑस्कीलेटर
Refferences
- R.S. Sedha, "A TextBook of Applied Electronics".
- J.B. Gupta, ""
- https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/c/c4/Tunnel_diode_symbol.svg/2000px-Tunnel_diode_symbol.svg.png. (Symbol)
- https://www.tutorialspoint.com/sinusoidal_oscillators/images/tunnel_diode_vi.jpg. (Characteristic curve)
Thanks
जवाब देंहटाएंThank you
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंAap ko abhi tak adsense ka approval nahi mila
जवाब देंहटाएंnahi mila
हटाएंplease create the contact us ,privacy ,disclaimer etc page if you have not created yet to get adsense approval
जवाब देंहटाएंTg
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