ट्रांजिस्टर
आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स का आधारभूत युक्ति है जिसमे आउटपुट करंट, वोल्टेज तथा पॉवर
को इनपुट करंट द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है| यह दो प्रकार के होते है बाइपोलर
जंक्शन ट्रांजिस्टर (Bipolar Junction Transistor (BJT)) तथा फिल्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर (Field Effect Transistor (FET))| BJT को सामान्यत: जंक्शन ट्रांजिस्टर या ट्रांजिस्टर भी कहा जाता है| BJT
उसके नाम के अनुसार ही द्विसंधी (bi-junction), द्विआवेशित (bi-polar), तिन सिरों (three terminal) वाली सेमीकंडक्टर डिवाइस है| इसमें चूँकि दो जंक्शन
होते है अत: इसमें दो P प्रकार के अर्धचालको के मध्य एक N प्रकार का अर्धचालक अथवा
दो N प्रकार के अर्धचालको के मध्य एक P प्रकार का अर्धचालक होता है| जिससे इसमें
दो जंक्शन का निर्माण होता है| इन तीनो भागो से एक-एक सिरे को जोड़ा जाता है जिसे
सामान्यत: एम्मिटर, बेस तथा कलेक्टर कहा जाता है| जो निचे चित्र में प्रदर्शित है|
एम्मिटर:
ट्रांजिस्टर
में एम्मिटर चार्ज केर्रिएर को एम्मिट (उत्सर्जित) करने का कार्य करता है| चूँकि
यह चार्ज केरिएर को एम्मिट करता है अत: इसमें डोपिंग लेवल अधिक होता है| इसका आकार
बेस की तुलना में अधिक तथा कलेक्टर की तुलना में कम होता है| डोपिंग अधिक होने के
कारण डिप्लीशन लेयर की चौड़ाई एम्मिटर में कम होती है|
बेस:
ट्रांजिस्टर
में बेस एम्मिटर द्वारा एम्मिट किये गए चार्ज को रास्ता प्रदान करता है| इसमें
डोपिंग लेवल एम्मिटर तथा कलेक्टर की तुलना में बहुत कम होता है एवं इसका आकर भी
दोनों की तुलना में बहुत ही कम होता है| चूँकि इसमें डोपिंग लेवल कम होता है अत:
इसमें डिप्लीशन लेयर की चौड़ाई अधिक होती है|
कलेक्टर:
इस भाग
में एम्मिटर द्वारा एम्मिट किये गए चार्ज को इक्कट्ठा (collect) किया
जाता है| चूँकि यहाँ पर चार्ज को कलेक्ट किया जाता है इसलिए इसकी साइज़ एम्मिटर और
बेस दोनों की तुलना में अधिक होती है| इसका आकर अधिक होने का एक कारण यह भी है की
यहाँ चार्ज को कलेक्ट किया जाता है और चार्ज ऊर्जा को उत्सर्जित करते है| इस ऊर्जा
को संतुलित करने के लिए भी इसका आकार अधिक होता है| इसमें डोपिंग लेवल एम्मिटर से
कम तथा बेस से अधिक होता है|
संरचना के आधार पर
ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते है|
1. NPN 2.PNP
इन्हें निम्नांकित प्रतिको द्वारा प्रदर्शित किया जाता है|