गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

फीडबैक एम्पलीफायर (पुनर्निवेश प्रवर्धक)

एक ऐसी प्रक्रिया, जिसमें हम परिपथ के आउटपुट का कुछ भाग, पुनः परिपथ के इनपुट पर प्रदान करते है। फीडबैक कहलाता है। और जिस परिपथ के द्वारा हम आउटपुट का कुछ भाग लेकर इनपुट पर प्रदान करते है, वह फीडबैक सर्किट (पुनर्निवेश परिपथ) कहलाता है। और जो एम्पलीफायर एम्पलीफिकेशन (प्रवर्धक प्रवर्धन) करने के लिए फीडबैक के सिद्धांत का प्रयोग करते हे उन्हें हम फीडबैक एम्पलीफायर कहते है।
           जब हम आउटपुट का कुछ भाग इनपुट पर प्रदान करते हे तो इससे इनपुट सिग्नल का मान परिवर्तित हो जाता है। इस आधार पर फीडबैक दो  प्रकार के होते है
  1. पॉजिटिव फीडबैक (धनात्मक पुनर्निवेश)
  2. नेगेटिव  फीडबैक (ऋणात्मक पुनर्निवेश)

पॉज़िटिव फीडबैक :


जब हम आउटपुट सिग्नल के कुछ भाग को इनपुट पर इसप्रकार प्रदान करते है की इनपुट सिग्नल का मान बढ़ जाता है, तो इसप्रकार के फीडबैक को पॉज़िटिव फीडबैक कहा जाता है। इस फीडबैक में फीडबैक सिग्नल और इनपुट सिग्नल के मध्य फेज डिफरेंस नहीं होता।  अर्थात दोनों सिग्नल इन-फेज  में होते है। इसे रि-जेनेरेटिव () फीडबैक या डायरेक्ट फीडबैक भी कहा जाता है।  इससे एम्पलीफायर के गेन का मान बढ़ जाता है।  किन्तु इसके साथ  ही कई प्रकार के डिस्टॉरशन भी आउटपुट पर उत्पन्न होने लगते है।

नेगेटिव फीडबैक:


जब हम आउटपुट सिग्नल के कुछ भाग को इनपुट पर इसप्रकार प्रदान करते है की इनपुट सिग्नल का मान कम हो जाता है, तो इसप्रकार के फीडबैक को नेगेटिव फीडबैक कहा जाता है। इस फीडबैक में फीडबैक सिग्नल और इनपुट सिग्नल के मध्य फेज डिफरेंस होता।  अर्थात दोनों सिग्नल आउट-फेज  में होते है। इसे डी-जेनेरेटिव () फीडबैक या इनवर्स फीडबैक भी कहा जाता है।  इससे एम्पलीफायर के गेन का मान कम जाता है।  किन्तु इसके साथ  ही कई प्रकार से एम्पलीफायर के कार्य करने की क्षमता को बढ़ता है।

फीडबैक के लाभ एवं हानियाँ / पॉजिटिव तथा नेगेटिव फीडबैक में तुलना:


स. क्र. 
 एम्पलीफायर के गुण 
 पॉज़िटिव फीडबैक
 नेगेटिव फीडबैक
1
 स्टेबिलिटी 
 कम होती है 
बढाती हैँ 
2
बैंडविड्थ  
 कम होती है 
बढाती हैँ  
3
आयाम डिस्टॉरशन  
 बढाता  हैँ 
 कम होता है 
4
 हार्मोनिक डिस्टॉरशन 
 बढाता हैँ 
 कम होता है 
5
 आवृत्ति डिस्टॉरशन 
 बढाता  हैँ 
  कम होता है
6
 फेज डिस्टॉरशन 
 बढाता  हैँ 
  कम होता है
7
 नॉइज़ 
 बढाता  हैँ 
  कम होता है
8
 गेन 
 बढाता  हैँ 
  कम होता है


साथ ही नेगेटिव फीडबैक में हम इनपुट एवं आउटपुट रेजिस्टेंस को हमारी आवश्यकता अनुसार परिवर्तित कर सकते है। 

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