गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

फीडबैक कनेक्शन के प्रकार


फीडबैक एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमे हम आउटपुट सिग्नल का कुछ भाग इनपुट सिग्नल पर प्रदान करते है।  चूँकि आउटपुट सिग्नल या तो वोल्टेज के रूप में होगा, या करंट के रूप में।  अतः हम आउटपुट से वोल्टेज को इनपुट पर प्रदान करते है  या फिर करंट को। 
     हम जानते है कि वोल्टेज प्राप्त करने के लिए हमें, फीडबैक सर्किट के इनपुट को, एम्पलीफायर  के आउटपुट के साथ समानान्तर (parallel) क्रम में लगाना होगा। और करंट प्राप्त करने के लिए इसे श्रेणीक्रम में लगाना होगा। इसीप्रकार फीडबैक सर्किट के आउटपुट को एम्पलीफायर के इनपुट पर हम दो प्रकार से प्रदान कर सकते है श्रेणीक्रम तथा समांनन्तरक्रम में।  इसी आधार पर फीडबैक कनेक्शन चार प्रकार के होते है। 

  1. वोल्टेज सीरीज 
  2. वोल्टेज शंट 
  3. करंट सीरीज 
  4. करंट शंट 

     फीडबैक कनेक्शन के द्वारा हम इनपुट तथा आउटपुट रेजिस्टेंस का मान परिवर्तित कर सकते है। 

वोल्टेज सीरीज फीडबैक कनेक्शन:


इस फीडबैक कनेक्शन में हम आउटपुट से वोल्टेज के कुछ भाग को लेकर उसे एम्पलीफायर इनपुट पर श्रेणीक्रम में प्रदान करते है। चूँकि आउटपुट से वोल्टेज लेने के लिए हमें फीडबैक सर्किट के इनपुट को एम्पलीफायर के आउटपुट से समानांतर क्रम में कनेक्ट करना होता है। इसलिए इसे शंट डिराइव्ड सीरीज -फेड फीडबैक भी कहा जाता है। इस कनेक्शन टाइप को चित्र 1 में प्रदर्शित किया गया है। 

चित्र 1:  वोल्टेज सीरीज फीडबैक कनेक्शन।   
     इस फीडबैक कनेक्शन से इनपुट तथा आउटपुट रेजिस्टेंस परिवर्तित होजाता है। इस फीडबैक कनेक्शन से इनपुट रेजिस्टेंस का मान बढ़ता है और आउटपुट रेजिस्टेंस का मान कम होता है। 
इनपुट रेजिस्टेंस : Ri= (1+βAv )Ri

     यहाँ : Ri   = फीडबैक रहित एम्पलीफायर का इनपुट रेजिस्टेंस 
             Av  = फीडबैक रहित एम्पलीफायर का वोल्टेज गेन 
              β     = फीडबैक फ्रैक्शन (भाग, अंश)

आउटपुट रेजिस्टेंस : Ro= Ro / (1+βAv )

     यहाँ : R = फीडबैक रहित एम्पलीफायर का आउटपुट रेजिस्टेंस 
             Av  = फीडबैक रहित एम्पलीफायर का वोल्टेज गेन 
              β     = फीडबैक फ्रैक्शन (भाग, अंश)

     अत: इनपुट एवं आउटपुट दोनों ही रेजिस्टेंस का मान (1+βAv) से प्रभावित होता है। 


वोल्टेज शंट फीडबैक कनेक्शन:


इस फीडबैक कनेक्शन में हम आउटपुट से वोल्टेज के कुछ भाग को लेकर उसे एम्पलीफायर इनपुट पर समानान्तर क्रम में प्रदान करते है। चूँकि आउटपुट से वोल्टेज लेने के लिए हमें फीडबैक सर्किट के इनपुट को एम्पलीफायर के आउटपुट से समानांतर क्रम में कनेक्ट करना होता है। इसलिए इसे शंट डिराइव्ड शंट-फेड फीडबैक भी कहा जाता है। इस कनेक्शन टाइप को चित्र 2 में प्रदर्शित किया गया है। 


चित्र 2 :  वोल्टेज शंट फीडबैक कनेक्शन।
      इस फीडबैक कनेक्शन से इनपुट और आउटपुट रेजिस्टेंस का मान कम होता है। 

     इनपुट रेजिस्टेंस : Ri’ R/ (1+βAv)

     आउटपुट रेजिस्टेंस : Ro’ = Ro / (1+βAv )

 करंट सीरीज फीडबैक कनेक्शन:


इस फीडबैक कनेक्शन में हम आउटपुट से करंट के कुछ भाग को लेकर, उसे एम्पलीफायर इनपुट पर श्रेणीक्रम में प्रदान करते है। चूँकि आउटपुट से करंट लेने के लिए हमें फीडबैक सर्किट के इनपुट को एम्पलीफायर के आउटपुट से श्रेणी क्रम में कनेक्ट करना होता है। इसलिए इसे सीरीज डिराइव्ड सीरीज -फेड फीडबैक भी कहा जाता है। इस कनेक्शन टाइप को चित्र 3  में प्रदर्शित किया गया है। 

चित्र 3 :  करंट  सीरीज फीडबैक कनेक्शन।   

      इस फीडबैक कनेक्शन से इनपुट 
और आउटपुट रेजिस्टेंस का मान समान गुणांक से बढ़ता है। 

     इनपुट रेजिस्टेंस : Ri’ = (1+βAv )Ri

     आउटपुट रेजिस्टेंस : Ro’ = (1+βAv ) Ro


 करंट शंट फीडबैक कनेक्शन:


इस फीडबैक कनेक्शन में हम आउटपुट से करंट के कुछ भाग को लेकर, उसे एम्पलीफायर इनपुट पर समानान्तर क्रम में प्रदान करते है। चूँकि आउटपुट से करंट लेने के लिए हमें फीडबैक सर्किट के इनपुट को एम्पलीफायर के आउटपुट से श्रेणी क्रम में कनेक्ट करना होता है।उसके उपरान्त हम इसे एम्पलीफायर के इनपुट पर समांनांतर क्रम में प्रदान करते है, इसलिए इसे सीरीज डिराइव्ड  शंट-फेड फीडबैक भी कहा जाता है। इस कनेक्शन टाइप को चित्र 4  में प्रदर्शित किया गया है। 

चित्र 4  :  करंट  शंट फीडबैक कनेक्शन।


      इस फीडबैक कनेक्शन से इनपुट रेजिस्टेंस का मान घटता है और आउटपुट रेजिस्टेंस का मान  बढ़ता है। 

     इनपुट रेजिस्टेंस : Ri’ Ri/(1+βAv )

     आउटपुट रेजिस्टेंस : Ro’ (1+βAv ) Ro


फीडबैक कनेक्शन का रेजिस्टेंस पर प्रभाव :



 स.क्र.
फीडबैक कनेक्शन टाइप  
इनपुट रेजिस्टेंस  
आउटपुट रेजिस्टेंस  
1
 वोल्टेज सीरीज
 बढ़ता है 
 घटता है 
2
 वोल्टेज शंट
 घटता है
 घटता है
3
 करंट सीरीज
 बढ़ता है 
 बढ़ता है 
4
 करंट शंट
 घटता है 
 बढ़ता है 

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गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

फीडबैक एम्पलीफायर (पुनर्निवेश प्रवर्धक)

एक ऐसी प्रक्रिया, जिसमें हम परिपथ के आउटपुट का कुछ भाग, पुनः परिपथ के इनपुट पर प्रदान करते है। फीडबैक कहलाता है। और जिस परिपथ के द्वारा हम आउटपुट का कुछ भाग लेकर इनपुट पर प्रदान करते है, वह फीडबैक सर्किट (पुनर्निवेश परिपथ) कहलाता है। और जो एम्पलीफायर एम्पलीफिकेशन (प्रवर्धक प्रवर्धन) करने के लिए फीडबैक के सिद्धांत का प्रयोग करते हे उन्हें हम फीडबैक एम्पलीफायर कहते है।
           जब हम आउटपुट का कुछ भाग इनपुट पर प्रदान करते हे तो इससे इनपुट सिग्नल का मान परिवर्तित हो जाता है। इस आधार पर फीडबैक दो  प्रकार के होते है
  1. पॉजिटिव फीडबैक (धनात्मक पुनर्निवेश)
  2. नेगेटिव  फीडबैक (ऋणात्मक पुनर्निवेश)

पॉज़िटिव फीडबैक :


जब हम आउटपुट सिग्नल के कुछ भाग को इनपुट पर इसप्रकार प्रदान करते है की इनपुट सिग्नल का मान बढ़ जाता है, तो इसप्रकार के फीडबैक को पॉज़िटिव फीडबैक कहा जाता है। इस फीडबैक में फीडबैक सिग्नल और इनपुट सिग्नल के मध्य फेज डिफरेंस नहीं होता।  अर्थात दोनों सिग्नल इन-फेज  में होते है। इसे रि-जेनेरेटिव () फीडबैक या डायरेक्ट फीडबैक भी कहा जाता है।  इससे एम्पलीफायर के गेन का मान बढ़ जाता है।  किन्तु इसके साथ  ही कई प्रकार के डिस्टॉरशन भी आउटपुट पर उत्पन्न होने लगते है।

नेगेटिव फीडबैक:


जब हम आउटपुट सिग्नल के कुछ भाग को इनपुट पर इसप्रकार प्रदान करते है की इनपुट सिग्नल का मान कम हो जाता है, तो इसप्रकार के फीडबैक को नेगेटिव फीडबैक कहा जाता है। इस फीडबैक में फीडबैक सिग्नल और इनपुट सिग्नल के मध्य फेज डिफरेंस होता।  अर्थात दोनों सिग्नल आउट-फेज  में होते है। इसे डी-जेनेरेटिव () फीडबैक या इनवर्स फीडबैक भी कहा जाता है।  इससे एम्पलीफायर के गेन का मान कम जाता है।  किन्तु इसके साथ  ही कई प्रकार से एम्पलीफायर के कार्य करने की क्षमता को बढ़ता है।

फीडबैक के लाभ एवं हानियाँ / पॉजिटिव तथा नेगेटिव फीडबैक में तुलना:


स. क्र. 
 एम्पलीफायर के गुण 
 पॉज़िटिव फीडबैक
 नेगेटिव फीडबैक
1
 स्टेबिलिटी 
 कम होती है 
बढाती हैँ 
2
बैंडविड्थ  
 कम होती है 
बढाती हैँ  
3
आयाम डिस्टॉरशन  
 बढाता  हैँ 
 कम होता है 
4
 हार्मोनिक डिस्टॉरशन 
 बढाता हैँ 
 कम होता है 
5
 आवृत्ति डिस्टॉरशन 
 बढाता  हैँ 
  कम होता है
6
 फेज डिस्टॉरशन 
 बढाता  हैँ 
  कम होता है
7
 नॉइज़ 
 बढाता  हैँ 
  कम होता है
8
 गेन 
 बढाता  हैँ 
  कम होता है


साथ ही नेगेटिव फीडबैक में हम इनपुट एवं आउटपुट रेजिस्टेंस को हमारी आवश्यकता अनुसार परिवर्तित कर सकते है।