सोमवार, 30 अप्रैल 2018

ज़ेनेर डायोड

ज़ेनेर डायोड को वोल्टेज रिफरेन्स, वोल्टेज रेगुलेटर या ब्रेकडाउन डायोड भी कहा जाता है| यह भी एक प्रकार का सिलिकॉन डायोड होता है जो पश्च अभिनिती में कार्य करता है| यदि हम इसका उपयोग अग्र अभिनिती में करते है तो यह सामान्य PN संधि डायोड की तरह कार्य करता है| इसमें डोपिंग की मात्रा सामान्य डायोड की तुलना में अधिक होती है| तथा ब्रेकडाउन वोल्टेज का मान, इसके निर्माण के समय डोपिंग की मात्रा से निर्धारित किया जाता है| चूँकि डोपिंग की मात्र अधिक होती है अत: इसमें अवक्षय परत (depletion layer) की चौड़ाई सामान्य डायोड से कम होती है| ज़ेनेर डायोड में डोपिंग का अनुपात 1:104 होता है| इसे निम्न प्रतिक द्वारा दर्शाया जाता है|

       एक सामान्य PN जंक्शन डायोड में ब्रेकडाउन, एवलांची या ज़ेनेर ब्रेकडाउन के कारण होता है| एवालंची ब्रेकडाउन त्वरित इलेक्ट्रॉन्स द्वारा लैटिस अणुओ पर किये गए प्रहार से होता है| इस प्रक्रिया में अणु आयोनिज़ हो जाते है| तथा फ्री इलेक्ट्रॉन्स रिवर्स फिल्ड के कारण त्वरित हो जाते हे और इस प्रकार एक गुणन प्रक्रिया की तरह फ्री इलेक्ट्रॉन्स बढते जाते है और धारा का मान पश्च अभिनिती में अचानक बढ़ जाता है| इस ब्रेकडाउन को एवलांची ब्रेकडाउन कहा जाता है|

      जब पश्च अभिनिती विभव के द्वारा उत्पन्न इलेक्ट्रिक फिल्ड का मान अधिक हो जाता है तब ज़ेनेर ब्रेकडाउन होता है| इस इलेक्ट्रिक फिल्ड के कारण अणुओं के बाह्यतम कक्षा के इलेक्ट्रॉन्स अपनी कक्षा को छोड़ देते है और अणु आयन में परिवर्तित हो जाते है| और अधिक मात्रा में इलेक्ट्रॉन्स फ्री हो जाते है जिसके कारण धारा का मान बढ़ जाता है|

       सामान्यत: ज़ेनेर ब्रेकडाउन हमें तब मिलाता है जब पश्च अभिनिती विभव का मान 6 V से कम होता है, और 6 V के बाद मिलने वाले ब्रेकडाउन को एवालंची ब्रेकडाउन कहते है|

ज़ेनेर अभिलाक्ष्णिक आरेख
      चुकी हम जानते है की ज़ेनेर एक स्पेशल पर्पस डायोड है जिसे हम पश्च अभिनिती में उपयोग करते है| इसलिए हमने इसके पश्च अभिनिती आरेख का ही अवलोकन किया है| निचे दिये गए चित्र में ज़ेनेर डायोड का विभव धारा आरेख प्रदर्शीय है|


     विभव  Voltage (V) से तथा धारा को current (I) से निरुपित किया है| जैसे जैसे हम विभव का मान  0 से बढ़ाते है धारा का मान बहुत कम मात्र में बढ़ता है| किन्तु विभव के एक मान (Breakdown voltage) के लिए धारा का मान अचानक से बढ़ जाता है इस मान को Breakdown voltage कहा जाता है| इस विभव के बाद विभव बढ़ने पर धारा का मान बढ़ता है पर विभव के मान में कोई परिवेर्तन नहीं होता| इस विभव को ही ज़ेनेर ब्रेकडाउन वोल्टेज कहा जाता है

अनुप्रयोग:
  1. वोल्टेज रेगुलेटर
  2. ट्रांजिस्टर बाईसिंग
  3.  Waveshaping सर्किट में etc
 Refference:
[1] R.S. Sedha, "A Textbook of Applied Electronics".
[2] J.B. Gupta,
[3] https://engineeringtutorial.com/wp-content/uploads/2016/07/engineeringtutorial.com_zener-diode-symbol.png
[4] https://www.electronicshub.org/wp-content/uploads/2015/01/3.-I-V-characteristics-of-Zener-Diode.jpg


रविवार, 22 अप्रैल 2018

Special Diode LED


वह PN जंक्शन डायोड, जो फॉरवर्ड बायस की स्थिति में, एनर्जी प्रकाश के रूप में उत्सर्जित करे, उसे प्रकाश उत्सर्जि डायोड (Light Emitting Diode) कहा जाता है| इसमें डायोड में जब कोई बॅाड (bond) बनता है तो, जो एनर्जी उत्सर्जित होती है वह प्रकाश के रूप में होती है| अत: इसे प्रकाश उत्सर्जि डायोड (LED) कहा जाता है| कंडक्शन बैंड में उपस्तिथ इलेक्ट्रॉन्स की एनर्जी अधिक होती है जब ये इलेक्ट्रॉन्स वेलेंसी बैण्ड में जाकर सह-संयोजी बंध बनाते है तो वेलेंसी बैण्ड में आने के लिए ये एनर्जी उत्सर्जित करते है| यह ऊर्जा प्रकाश के रूप में होती है| LED की निम्न प्रतिक द्वारा दर्शाया जाता है|
एक सामान्य PN जंक्शन डायोड जो की सिलिकॉन या जेर्मेनिय्म से बना होता है वह यह एनर्जी ताप के रूप में उत्सर्जित करता है| अत: LED के निर्माण में हम एसे पदार्थो का उपयोग करते है, जो की एनर्जी प्रकाश के रूप में उत्सर्जित करते है| इस प्रकाश का रंग डायोड के निर्माण में उपयोग किये गए पदार्थ पर निर्भर करता है| उत्सर्जित प्रकाश का रंग, उपयोग किये जाने वाले पदार्थ की सरणी निचे दी गयी है|



S. No.
Color
Material
Forward Voltage
01
Amber
AlInGaP
2.1
02
Blue
GaN
5
03
Green/Red
GaP
2.2
04
Yellow
GaAsP or AlInGaP
2.2 or 2.1
05
Red
GaAsP
1.8
06
White
GaN
4.1
07
Infrared
GaAs



 क्रियाविधि:
जब हम LED के एनोड को एनर्जी सोर्स के पॉजिटिव से तथा केथोड़ को एनर्जी सोर्स के नेगेटिव सिरे से जोड़ते है तब इसे LED की फॉरवर्ड बाइसिंग कहा जाता है| इस स्थिति में N रीजन के फ्री इलेक्ट्रॉन्स जंक्शन पार कर P रीजन में आजाते है तथा P रीजन के होल्स से रिक्म्बाइन (बंध बनाना) होते है| चूँकि ये इलेक्ट्रॉन्स कंडक्शन बैण्ड में होते है जिसका एनेर्जी लेवल अधिक होता है| तो वेलेंसी बैण्ड में आने आने के लिए ये अपनी एनेर्जी को ईमिट (उत्सर्जित करना) करते है| यही ऊर्जा हमें लाईट (प्रकाश) के रूप में मिलाती है| 

जब हम इसे रिवर्स बाइस में लगते है उस स्थिति में हमें कोई प्रकाश प्राप्त नहीं होता और LED के ख़राब होने की सम्भावनाये बढ़ जाती है| इसका V-I आरेख निम्न चित्र में प्रदर्शित है|

 Refference:
[1] R.S. Sedha, "A Textbook of Applied Electronics".
[2] J.B. Gupta,
[3] http://www.mainbyte.com/ti99/electronics/led_2.jpg
[4] http://images.tutorcircle.com/cms/images/124/characteristics-of-led.png