प्रतिरोध उनके
गुणों के आधार पर दो प्रकारों में विभाजित किये जाते है रेखिय तथा अरेखिय|
रेखिय
एसे
प्रतिरोध जो ओम के नियम का पालन करते है उन्हें रेखिय प्रतिरोध कहा जाता है|
अर्थात इस प्रकार के प्रतिरोध में बहने वाली धारा लगाये गए विभव के समानुपाती होती
है| इसमे प्रतिरोधकता का मान ताप अथवा प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करता| इसे
दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है|
- स्थाई
- अस्थाई
स्थाई प्रतिरोध
यह
एक प्रकार के रेखिय प्रतिरोध होते है, जिनके प्रतिरोधकता का मान लगाये गए विभव,
तापमान तथा आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं कराता है| यह निम्न प्रकार के
होते है:
- कार्बन कम्पोजीशन
- थिन फिल्म
- थिक फिल्म
- वायर वाउन्ड
1. कार्बन कम्पोजीशन:
एक
निश्चित मात्रा कि प्रतिरोधाकता हेतु इस प्रकार के पतिरोध का निर्माण कार्बन पाउडर
तथा कुचालक पदार्थ के मिश्रण से किया जाता है| इसमे अधिकतम तथा न्यूनतम मान
निश्चित मान का १०% होता है| कुछ विशिष्ट विधियों द्वारा हम यह टोलेरेंस ५% तक कर
सकते है| सामान्यत:
प्रतिरोधक पदार्थ कार्बन चूर्ण को छड़ी के में ढाला जाता है और इस पर प्लास्टिक की
परत चढ़ा दी जाती है| इसके दोनों सिरों पर चालक पदार्थ के पतले तारों (leads) को जोड़ा
जाता है यह लीड्स प्रतिरोध को परिपथ में जोड़ने के लिए उपयोग की जाती है|
इनमे निम्न
विशिष्टताये होती है :
मान : २ तो २२ M Ω
पावर रेटिंग : १/८,
१/४. १/२,१ और २ Watts. (जैसे जैसे पावर रेटिंग बढती है वैसे वैसे इसका आकर भी
बढ़ता है|)
2. थिन फिल्म :
इस प्रकार के
प्रतिरोध को कुचालक पदार्थ की छड या सिरामिक या ग्लास की छड पर चालक पदार्थ की परत
चढ़ा कर बनाया जाता है| यह दो प्रकार के होते है : कार्बन फिल्म एवं मेटल (धातु)
फिल्म |
कार्बन फिल्म
कार्बन कम्पोजीशन की तुलना में सस्ते होते है, तथा अधिक स्थित्व प्रदान करते है|
मेटल फिल्म प्रतिरोध को सिरामिक या ग्लास की छड़ी पर धातु की परत चढ़ा कर बनाया जाता
है| इस परत को कुंडली के आकर में काटा जाता है तथा दोनों सिरों से दो धातु के
तारों को जोड़ा जाता है| इन प्रतिरोधो का मान इनके निश्चित मान का +-०.०२५% से २%
तक होता है|
3. थिक फिल्म
4. वायर वाउन्ड
इस
प्रकार के प्रतिरोध को सिरामिक की फिल्म पर प्रतिरोधी तार जैसे निक्रोम (Nichrome)
(निकिल-क्रोमियम (nicklet- chromium) मिश्र धातु) को लपेटकर बनाया जाता है| इस तार पर
कुचालक पदार्थ की परत चढाई जाती है| यह अन्य स्थाई प्रतिरोधो की तुलना में महंगे
होते है| किन्तु इनके विद्धुतीय गुण बहुत अच्छे होते है| यह DC तथा ऑडीयो आवृत्ति
अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त होते है| किन्तु अधिक आवृत्ति की स्थिति में यह
उपयुक्त नहीं होते क्योकि ऐसी स्तिथी में इनमे प्रेरकत्व तथा धारिता का गुण आ जाता
है|
अस्थाई रेखिय प्रतिरोध
यह भी रेखिय प्रतिरोध का एक प्रकार है, जो
ओम के नियम का पालन करता है| किन्तु इसका मान स्थाई नहीं होता है| इसका मान को ०
से एक निश्चित मान तक बदला जा सकता है| यह तिन प्रकार के होते है :
- अस्थाई वायर वाउन्ड
- पोटेंशियोमीटर
- ट्रिमर
1. अस्थाई वायर वाउन्ड:
इसे
निक्रोम के तार को सिरामिक के आधार पर लपेट कर बनाया जाता है और इस पर कुचालक
पदार्थ की परत की इस प्रकार चढ़ाया जाता है की उसमे एक खिड़कीनुमा/रिक्त स्थान दिखाई
दे| इस रिक्त स्थान से निक्रोम तार दिखाई देना चाहिए| अब हम एक कनेक्टर को इस
रिक्त स्थान पर इस प्रकार लगते है की यह निक्रोम के तार से जुड़ा रहे| तथा यह रिक्त
स्थान के एक सिरे से दुसरे सिरे तक घूम सके|
निक्रोम तार के दोनों सिरों से हम दो धातु के तार जोड़ देते है| इस प्रकार
इस प्रतिरोध में तिन लीड्स होती है जिनमे दोनों सिरों वाले लीड्स स्थाई होते है
जबकि मध्य वाली लीड अस्थाई होती है| इसे हम निम्न प्रतिक द्वारा निरुपित कर सकते
है|
इनका उपयोग निम्न आवृति के अनुप्रयोगों में किया जाता है| इनका मान १ से १५० K Ω तक होती है इनकी पवार रेटिंग ३ से २०० W तक हो सकती है|
इनका उपयोग निम्न आवृति के अनुप्रयोगों में किया जाता है| इनका मान १ से १५० K Ω तक होती है इनकी पवार रेटिंग ३ से २०० W तक हो सकती है|
2. पोटेंशियोमीटर:
यह
एक तिन सिरो (लीड्स) वाला अस्थाई रेखिय प्रतिरोध होता है, जिसके प्रथम तथा तृतीय
सिरा स्थिर होता है जबकि मध्य वाला सिरा अस्थायी होता है| एक प्रतिरोधक पदार्थ
स्थायी सिरों से जुड़ा रहता है और अस्थायी सिरे से एक वाइपर लगा होता है| इस वाइपर
को एक कंट्रोल छड द्वारा नियंत्रित किया जाता है| यह वाइपर कंट्रोल छड को घुमाने
पर प्रतिरोधक पदार्थ पर घुमने लगता है| इस प्रकार हमें मध्य तथा बहरी सिरों के
सापेक्ष परिवर्तित प्रतिरोध प्राप्त होता है|
यहा
प्रतिरोधक पदार्थ के रूप में कार्बन कम्पोजीशन, कार्बन फिल्म, सर्मेट () और वायर
आदि का उपयोग किया जा सकता है| सामान्यत: कार्बन कम्पोजीशन पोटेंशियोमीटर उपयोग
किये जाते है| ये सस्ते, अधिक विश्वस्नीय तथा अधिक समय तक उपयोग किये जा सकते है|
3. ट्रिमर:
यह
भी एक तरह का अस्थाई रेखिय प्रतिरोध है| जिसमे प्रतिरोध का मान एक स्क्रू के
द्वारा परिवर्तित किया जा सकता है| स्क्रू के घूर्णन () के अनुसार यह दो प्रकार के
होते है सिंगल टर्न एवं मल्टी टर्न| इसकी प्रतिरोधकता का मान ५० Ω से ५ MΩ तक होती है तथा पॉवर रेटिंग १/४ से ३/४ W
तक हो सकती है|
अरेखिय प्रतिरोध
इसे प्रतिरोध जो ओम में नियम का पालन नहीं करते,
उन्हें अरेखिय प्रतिरोध कहा जाता है| इस प्रकार के प्रतिरोधो का निर्माण
अर्द्धचालक पदार्थो के द्वारा किया जाता है| अर्द्धचालक पदार्थ वे पदार्थ होते है
जिनके गुण चालक और कुचालक के मध्य होते है| प्रतिरोध के अरेखियता का यह गुण
सह-सयोंजी बंधो के अर्द्धाचालक में टूटने के कारण होता है| यह बंध सामान्यत:
तापमान में परिवर्तन के कारण, लगाये गए विभव के कारण या आपतित प्रकाश के कारण टूट
सकते है| अत: अरेखिय प्रतिरोध निम्न प्रकार के होते है:
- थर्मिस्टर
- फोटोरेसिस्टर
- वेरिस्टर
1. थर्मिस्टर:
थर्मिस्टर
(थर्मल-रसिस्टर) एक तापमान सेंसिटिव प्रतिरोध होता है| अर्थात जिसका मान तापमान
में होने वाले परिवर्तन के अनुसार घटता या बढ़ता है| यह दो प्रकार के होते है:
पॉजिटिव टेम्परेचर कोफ़िशिएन्ट एवं नेगेटिव
टेम्परेचर कोफ़िशिएन्ट|
धनात्मक तापमान गुणांक/पॉजिटिव टेम्परेचर
कोफ़िशिएन्ट (PTC): जब तापमान के बढ़ने के साथ-साथ प्रतिरोध का मान भी बढ़ता है, तो
इस प्रकार के प्रतिरोध को PTC कहा जाता है| इस प्रकार के प्रतिरोध में एक निश्चित
तापमान के बाद प्रतिरोध का मान अचानक बढ़ जाता है| इस तापमान को स्विचिंग पॉइंट कहा
जाता है|
ऋणात्मक तापमान गुणांक/नेगेटिव
टेम्परेचर कोफ़िशिएन्ट (NTC): जब तापमान के बढ़ने के साथ-साथ प्रतिरोध का मान
घटता है, तो इस प्रकार के प्रतिरोध को NTC कहा जाता है|